हिंदू मंदिरों की 47000 एकड़ जमीन गायब, 36 साल में किया गया यह खेल: हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से माँगा जवाब

 

मद्रास हाई कोर्ट ने लॉस्ट टेम्पल्स के मामले में बड़ा कदम उठाते हुए तमिलनाडु सरकार से कथित तौर पर गायब हो चुकी मंदिर की 47,000 एकड़ जमीन को लेकर स्पष्टीकरण माँगा है। 1984-85 के पॉलिसी नोट के मुताबिक यह जमीन 5.25 लाख एकड़ थी, जबकि 2019-20 के नोट में इसे केवल 4.78 लाख एकड़ बताया गया है।

मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस एन किरुबाकरण और टीवी थमिलसेल्वी ने सरकारी वकील रिचर्ड विल्सन को ‘हिंदू रिलीजियस ऐंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स डिपार्टमेंस’ की ओर से एक नोटिस को लेकर आगामी 5 जुलाई, 2021 तक इस मामले में एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। जजों ने स्पष्ट कहा कि दो पॉलिसी नोट का अध्ययन करने से ऐसा प्रतीत होता है कि 47,000 एकड़ जमीन गायब हुई है।

कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को राज्य के भीतर ऐतिहासिक/पुरातात्विक महत्व के साथ सभी संरचनाओं, स्मारकों, मंदिरों, प्राचीन वस्तुओं की पहचान करने के लिए 17 सदस्यीय विरासत आयोग का गठन करने का आदेश भी दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके पर्यवेक्षण के साथ ही मदिरों या स्मारकों की मरम्मत का आदेश भी दिया है।

खास तौर पर कोर्ट ने हर मंदिर में स्ट्राँग रूम सहित मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वीडियो सर्विलांस और सभी मूर्तियों के कम्प्यूटरीकृत डेटा समेत उनकी तस्वीरों की सुरक्षा के लिए निर्देश भी दिए।

जजों ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार को वर्ष 1984-85 की पॉलिसी नोट में दिए गए जमीनों के विवरण और नए नोट के विवरण और सर्वे के साथ एक जवाबी हलफनामा दायर किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मानव संसाधन और सीई विभाग को इससे संबंधित जानकारी को जमा करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस बात की उम्मीद है कि इसके कब्जे की डिटेल्स उसी में होगी।

अदालत ने अंतरिम आदेश एक याचिका के आधार पर दिया है, जिससे मंदिर में पूजा और अनुष्ठान करने के अलावा संस्थानों को बनाए रखने के लिए किया जा सके।

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